भारत में उच्च प्रशासन और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का संकट

वर्ष 2021 में अखिल भारतीय सेवाओं (एआईएस) की ओर जनता का ध्यान तब गया, जब 1987 बैच के एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी अलापन बंद्योपाध्याय की प्रतिनियुक्ति को लेकर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच टकराव शुरु हुआ था। वर्ष 2022 में अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति को विनियमित करने वाले नियमों से संबंधित प्रस्तावित संशोधनों के कारण अखिल भारतीय सेवाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित हुआ है। राज्य सरकारों के मुताबिक प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य प्रतिनियुक्ति के लिए अधिकारियों की मांग करने वाले केंद्र के अनुरोध पर वीटो लगाने के राज्यों के अधिकार को समाप्त करना है और फलस्वरूप ये संशोधन सहकारी संघवाद (cooperative federalism) की भावना के खिलाफ हैं।

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने 20 दिसंबर, 2021 को एक पत्र के माध्यम से राज्यों से आईएएस (संवर्ग) नियम, 1954 के नियम 6(1) में प्रस्तावित संशोधनों पर उनकी राय मांगी थी। नियम 6(1) आईएएस अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से संबंधित है। पुलिस सेवा (संवर्ग) नियम, 1954 और भारतीय वन सेवा (संवर्ग) नियम, 1966 में भी इसी प्रकार के संशोधनों का प्रस्ताव रखा गया है । इन संशोधनों के माध्यम से, केंद्र मुख्य रूप से केंद्र में एआईएस कर्मियों की कमी के कारण, राज्य द्वारा अपने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व (Central Deputation Reserve या “सीडीआर”)  दायित्वों के पालन की अवहेलना का हवाला देते हुए अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर अधिक नियंत्रण हासिल करने का प्रस्ताव करता है।

यह लेख एआईएस कर्मियों की प्रतिनियुक्ति से संबंधित नियमों को समझाने का एक प्रयास है। भारतीय संघवाद के भविष्य के लिए इस संघर्ष के निहितार्थों को ध्यान में रखते हुए,  इस लेख में तर्क दिया गया है कि केंद्र में राज्य कैडरों के अधिकारियों को प्रतिनियुक्त करने में केवल परामर्शी दृष्टिकोण ही भारत के संघीय ढांचे के अनुरूप है।

अखिल भारतीय सेवाएं क्या हैं?

भारत में प्रशासनिक सेवाओं को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है। केंद्र को सेवाएं प्रदान करने वाली केंद्रीय सिविल सेवाएं (जैसे कि Indian Foreign Service, Indian Postal Service), संबंधित राज्यों को सेवाएं प्रदान करने वाली राज्य सिविल सेवाएं (राज्यों से सम्बंधित विषयों को सँभालने वाले अधिकारी, जैसे कि Sub-Divisional Magistrates, Block Development Officer, Land Acquisition Collector) और एआईएस (AIS) जो केंद्र और राज्यों दोनों को सेवाएं प्रदान करती है।

स्वतंत्रता के पश्चात भारत ने दो लोक सेवाओं को बरकरार रखा था –  केंद्रीय सेवाएं और अखिल भारतीय सेवाएं, । एआईएस, केंद्र और राज्यों के लिए सामान्य प्रशासनिक अधिकारियों का एकमात्र संवर्ग है, जिसकी भर्ती और नियंत्रण भारत सरकार करती है। अंतरिम सरकार के गृह मंत्री के रूप में सरदार वल्लभभाई पटेल ने केंद्र और राज्य के बीच एक सेतु के रूप में भारत में एक एकीकृत एआईएस बनाने के केंद्र सरकार के फैसले को आगे बढ़ाने का कार्य किया। उन्होंने अक्टूबर 1946 में प्रांतीय मुखियों का एक सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें एआईएस पर नियंत्रण के प्रश्न पर विस्तार से चर्चा की गई। हालांकि प्रांतीय सरकारों की ओर से  से प्रारंभिक विरोध हुआ, अंत में एआईएस की रचना को मंजूरी दी गई थी। नतीजतन,  आईएएस और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के समावेश से स्वतंत्र भारत के एआईएस की रचना हुई।

एआईएस ने संविधान के अनुच्छेद 312 के तहत संरक्षण प्राप्त किया और यह सातवीं अनुसूची की सूची 1, प्रविष्टि 70 (List I, Entry 70) के तहत केंद्र के अनन्य क्षेत्राधिकार का विषय बन गया। वर्ष 1963 में अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1951 में संशोधन के द्वारा तीन और एआईएस – भारतीय वन सेवा, भारतीय इंजीनियरी सेवा, और भारतीय चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा के लिए धारा 2ए के तहत प्रावधान किए गए थे। भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) का गठन जुलाई 1966 में हुआ था। राज्यों के निरंतर प्रतिरोध के परिणामस्वरूप अन्य दो प्रस्तावित सेवाओं के गठन को स्थगित कर दिया गया था।

भारत में उच्च प्रशासन की संरचना

भारतीय संघ के एकात्मक चरित्र को मज़बूत करने के लिए केंद्र और राज्यों में केंद्रीय रूप से भर्ती किए गए प्रशासनिक कर्मियों का एक साझा पूल बनाने के लिए AIS की  परिकल्पना की गई थी। अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी, अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1951 द्वारा शासित होते हैं, जो उनकी भर्ती और सेवाओं की शर्तों को नियंत्रित करता है। इस अधिनियम की धारा 3, केंद्र को राज्य सरकारों के परामर्श से नियम बनाने के लिए अधिकृत करती है। जब कभी केंद्र कोई नया नियम लागू करने या मौजूदा नियम में संशोधन करने का प्रस्ताव रखता है, तो हर बार राज्य सरकारों से उनकी राय के लिए परामर्श किया जाता है।

, राज्यों के विरोध या जवाब न देने की स्थिति में भी केंद्रीय सरकार को नियम बनाने की स्वतंत्रता है । हालाँकि पारम्परिक रूप से केंद्र और राज्यों के बीच एक सहकारी और सहयोगात्मक दृष्टिकोण के आधार पर ही नियम बनाये गए हैं।

एआईएस के लिए भर्ती, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित एक केंद्रीकृत और स्वतंत्र सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से की जाती है। राज्यों के परामर्श से केंद्र एक कैडर समीक्षा करता है, जिसमें प्रत्येक सेवा में नए अधिकारियों की राज्य-विशिष्ट आवश्यकता का आकलन किया जाता है। कैडर समीक्षा आकलन के आधार पर, यूपीएससी द्वारा भर्ती की प्रक्रिया की जाती है। अंततः, अधिकारियों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और इस प्रकार केंद्र सरकार ही नियुक्ति प्राधिकारी बन जाती है।

नियुक्ति के तुरंत बाद कैडर आवंटन प्रक्रिया पूरी की जाती है। एआईएस कैडर आवंटन की व्यवस्था केंद्र द्वारा तीन कैडर-नियंत्रण प्राधिकरणों के माध्यम से की जाती है:- आईएएस के लिए डीओपीटी, आईपीएस के लिए गृह मंत्रालय, और आईएफओएस के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय। संवर्ग आवंटन नीति (2017) के अनुसार, अधिकारियों की योग्यता, वरीयता और राज्य संवर्ग में रिक्ति के आधार पर आवंटन किया जाता है।

सेवाओं के अखिल भारतीय स्वरूप को बनाए रखने और उनमें एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण पैदा करने के लिए केंद्र द्वारा एआईएस कर्मियों का केंद्रीकृत प्रशिक्षण किया जाता है। प्रारंभ में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए), मसूरी में संयुक्त प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है। आईएएस अधिकारी एलबीएसएनएए में अपना पूरा प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, जबकि आईपीएस अधिकारी और आईएफओएस अधिकारी क्रमशः सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (हैदराबाद) और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (देहरादून) में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।

प्रशिक्षण के तुरंत बाद, एआईएस अधिकारियों को संबंधित राज्य सरकारों को आवंटित किया जाता है और उनकी अवसरिक प्रतिनियुक्ति केंद्र सरकार में भी होती है । आवंटन के पश्चात, राज्य के भीतर एक जिले से दूसरे जिले में अधिकारियों की तैनाती, पदोन्नति और स्थानांतरण के लिए राज्यों को अनन्य अधिकार प्राप्त है ।

प्रतिनियुक्ति कैसे काम करती है?

राज्य कैडरों से एआईएस अधिकारियों की केंद्रीय या राज्य प्रतिनियुक्ति, आईएएस (कैडर) नियमों, आईपीएस (कैडर) नियमों और आईएफओएस (कैडर) नियमों के नियम 6 द्वारा की जाती है। केंद्र सरकार, अधिकारियों के एक हिस्से को निर्धारित करती है जिन्हें राज्य संवर्गों में से भारत सरकार के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है – इसे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व कहा जाता है।

प्रचलन अनुसार, जिन अधिकारियों ने कम से कम नौ साल तक राज्य सरकार में सेवाएं प्रदान की है, वे राज्य सरकार के माध्यम से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन कर सकते हैं। प्रति वर्ष केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के इच्छुक अधिकारियों की एक ‘प्रस्ताव सूची’ तैयार की जाती है, जिसमें से केंद्र चयन करता है। चयन होने पर राज्य ऐसे अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति के लिए कार्यभार से मुक्त करता है। इस प्रकार केंद्र, राज्य और अधिकारी को शामिल करते हुए एक त्रिपक्षीय परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से एक एआईएस अधिकारी, केंद्र/राज्य प्रतिनियुक्ति के लिए उपलब्ध होते हैं । केंद्र और संबंधित राज्य के बीच असहमति के मामले में केंद्र द्वारा लिया गया निर्णय मान्य होगा।

केंद्र द्वारा नियुक्त अधिकांश प्रशासनिक अधिकारी (एआईएस के भाग के रूप में) राज्य संवर्गों को आवंटित किए जाते हैं। केंद्र सरकार को नीति नियोजन, नीति निर्माण और योजनाओं को अमल करने के लिए जब भी वरिष्ठ स्तर के कर्मियों की आवश्यकता होती है, तब एआईएस से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति द्वारा पदों पूर्ती की जाती है । ये कर्मी अपने प्रतिनियुक्ति कार्यकाल की समाप्ति पर अपने राज्य के संवर्ग में लौट जाते हैं। एआईएस अधिकारियों के स्थानीय और क्षेत्रीय अनुभव के कारण उन्हें केंद्रीय प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर प्रतिनियुक्ति के लिए प्राथमिकता दी जाती है। यह प्रथा सुनिश्चित करती है कि सरकार के प्रत्येक स्तर को एकदूसरे की बाधाओं और समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त हो, जिससे संघीय व्यवस्था में स्वस्थ संतुलन सुनिश्चित हो सके।

केन्द्र सरकार ने कौन से संशोधन प्रस्तावित किए हैं और उससे क्या तनाव पैदा हो रहे हैं?

केंद्र सरकार ने नियम 6(1) की योजना में चार संशोधनों का प्रस्ताव किया है। अनिवार्य रूप से ये संशोधन निम्नानुसार हैः-

  • प्रत्येक राज्य सरकार को हर साल एक निश्चित संख्या में अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की पेशकश करने की आवश्यकता होगी। यह केंद्र को, राज्यों के परामर्श से, केंद्र सरकार को प्रतिनियुक्त किए जाने वाले अधिकारियों की वास्तविक संख्या तय करने का अधिकार देता है;
  • केंद्र और राज्य के बीच कैडर अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर किसी भी असहमति के मामले में, राज्य सरकार एक निर्धारित समय के भीतर केंद्र सरकार के फैसले को प्रभावी करेगी;
  • राज्य सरकार से ऐसे अधिकारियों, जिनकी सेवाएं कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में केंद्र सरकार ने मांगी है, उनको कार्यभार मुक्त करना राज्य सरकार के लिए अनिवार्य है;
  • आवश्यक है कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए अनुमोदित अधिकारी को केंद्र द्वारा तय की गई तारीख को राज्य संवर्ग से मुक्त कर दिया जाएगा। इस संबंध में राज्य सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र (no-objection certificate) की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है।

इन संशोधनों का प्रस्ताव करने के लिए केंद्र का तर्क यह है कि (केंद्रीय स्तर पर) अधिकारियों की अनुपलब्धता सरकार के कामकाज को प्रभावित कर रही है। आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों में बहुत कम संख्या में अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में आये हैं, जो राज्यों द्वारा अपने सीडीआर दायित्वों का पालन न करने का प्रदर्शित करते हैं। सीडीआर के हिस्से के रूप में अधिकारियों की संख्या में कमी आई है, और इसलिए सीडीआर का उपयोग भी कम हो गया है।

दूसरी ओर, क्योंकि मौजूदा नियम पहले से ही केंद्र के पक्ष में हैं, राज्यों ने प्रतिनियुक्ति के मुद्दे पर और अधिक स्वायत्तता की हानि संबंधी आशंकाओं पर इन संशोधनों का विरोध किया है। प्रतिनियुक्ति पर आये अफसरों के उपयोग के सन्दर्भ में केंद्र और राज्यों के बीच परामर्श अनिवार्य माना जाता है। इन नियमों पर राज्यों के विचार प्रकट करने की विफलता के चलते केंद्र सरकार के इन नियामों को अधिसूचित कर देने से राज्यों की आशंकाएं केवल बढ़ेंगी ही|

केंद्र द्वारा इन प्रस्तावित परिवर्तनों को राज्यों पर थोपना पारम्परिक प्रथा के साथ-साथ 1951 के अधिनियम की योजना के विपरीत चलेगा, जिसमें एआईएस अधिकारियों की भर्ती और सेवा की शर्तों से संबंधित मामलों के लिए केंद्र-राज्य के बीच परामर्श शामिल है। राज्यों का एक स्वतंत्र संवैधानिक अस्तित्व है और वे केंद्र के एजेंट नहीं हैं। इन नियमों को लागू करने के लिए केंद्र की ओर से कोई भी जल्दबाजी सरकार के दो स्तरों के बीच अविश्वास पैदा करने के साथ-साथ अलावा स्वयं एआईएस अधिकारियों की स्वतंत्रता के लिए चिंताएं भी पैदा करेगी, जिनमें से कोई भी प्रस्तावित संशोधनों के अपेक्षित परिणाम नहीं हैं।

विचार व्यक्तिगत हैं।

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